Wednesday, January 4, 2017

#050 - गीता अध्ययन एक प्रयास


*#050 - गीता अध्ययन एक प्रयास*

*ॐ*
*जय श्रीकृष्ण !*

*संक्षेप में*


*जीव, आत्मा और परमात्मा*

परमात्मा = ईश्वर, श्रीभगवान
परमात्मा, जिसको पाने से परमशांति मिलती है.

जीव = वह जिसमें एक चेतन परमात्मा का अंश है और एक जड़ प्रकृति का अंश है. जीव में सत् और असत् (अर्थात् आत्मा और पदार्थ) दोनों होते हैं.

जीव का चेतन अंश परमात्मा की प्राप्ति की इच्छा करता है, पर जीव का जड़ अंश संसार की इच्छा करता है. हमें समझना चाहिए कि सांसारिक इच्छाओं की पूर्ति का कोई अंत ही नहीं है, आसक्ति के कारण नई इच्छाएं पैदा होती रहती हैं.

जीव जब परमात्मा को प्राप्त करता तो जीव को परमशान्ति प्राप्त होती है.

आत्मा = सत्
आत्मा परमात्मा का सूक्ष्म अंश ही है. यह अपरिवर्तित, अविनाशी, अव्यय, अप्रमेय तथा शाश्वत है. आत्मा के लिए किसी काल में ना तो जन्म है, ना ही मृत्यु. आत्मा ना तो कभी जन्मा, ना जन्म लेता है और ना ही कभी लेगा. आत्मा अजन्मा, नित्य, शाश्वत और पुरातन है.

शरीर के मारे जाने पर भी आत्मा मारा नहीं जाता.

आत्मा के बारे में अधिक जानने के लिए कृपया गीता अध्याय 2 के अध्ययन की सादर सलाह है.

सादर,

केशव राम सिंघल


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