Friday, February 4, 2022

#086 - गीता अध्ययन एक प्रयास

गीता अध्ययन एक प्रयास

 

*ॐ*

 

*जय श्रीकृष्ण*

 

*गीता अध्याय 8 - अक्षरब्रह्मयोग*

 

8/18

 

अव्यक्ताद्व्यक्तयः सर्वा प्रभवन्त्यहरागमे।

रात्र्यागमे प्रलीयन्ते तत्रैवाव्यक्तसंज्ञके।।

 

*भावार्थ*

 

भगवान श्रीकृष्ण अर्जुन से कहते हैं -

 

ब्रह्मा के दिन के आरंभकाल (शुरू) में ब्रह्मा के सूक्ष्म शरीर (अव्यक्त) से सम्पूर्ण जीव (शरीर) पैदा होते हैं और ब्रह्मा की रात्रि के आरम्भकाल (शुरू) में ही सम्पूर्ण जीव (शरीर) लीन हो जाते हैं।

*प्रसंगवश*

जब सभी जीव ब्रह्मा के सूक्ष्म शरीर में लीन होते हैं, तब वे जन्म-मृत्यु के चक्र से छूट नहीं पाते हैं, बल्कि जन्म-मृत्यु के चक्र में फंसे रहते हैं।

 

सादर,

केशव राम सिंघल