Sunday, October 23, 2022

संकलित जानकारी

संकलित जानकारी 

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सात पदार्थ - (1) द्रव्य (2) गुण (3) कर्म (4) सामान्य (5) विशेष (6) समवाय (7) अश्राव   


नौ प्रकार के द्रव्य पदार्थ - (1) पृथ्वी (2) जल (3) तेज, अग्नि (4) वायु (5) आकाश (6) काल (7) दिग् (8) आत्मा (9) मन 

गुणवाला होना द्रव्य का लक्षण है।


वायु के नौ गुण - (1) स्पर्श (2) संख्या (3) परिमाण (4) पृथक्त्व (5) संयोग (6) विभाग (7) परत्व (8) अपरत्व (9) वेग 


तेज (अग्नि) के ग्यारह गुण - (1) रूप (2) स्पर्श (3) संख्या (4) परिमाण (5) पृथक्त्व (6) संयोग (7) विभाग (8) परत्व (9) अपरत्व (10) द्रवत्व (11) वेग 


जल के चौदह गुण - (1) रूप (2) रस (3) गंध (4) स्पर्श (5) परिमाण (6) संयोग (7) विभाग (8) पृथकत्व (9) परत्व (10) अपरत्व (11) गुरुत्व (12) द्रवत्व (13) स्नेह (14) वेग 


पृथ्वी के चौदह गुण - (1) रूप (2) रस (3) गंध (4) स्पर्श (5) परिमाण (6) संयोग (7) विभाग (8) पृथकत्व (9) परत्व (10) अपरत्व (11) गुरुत्व (12) द्रवत्व (13) संख्या (14) वेग   


जीवात्मा के चौदह गुण - (1) संख्या (2) परिमाण (3) पृथकत्व (4) संयोग (5) विभाग (6) बुद्धि (7) सुख (8) दुःख (9) इच्छा (10) द्वेष (11) प्रयत्न (12) धर्म  (13) अधर्म (14) भावना 


 दिग् और काल के पाँच गुण - (1) संख्या (2) परिमाण (3) संयोग (4) विभाग (5) पृथकत्व 


आकाश के छह गुण - (1) संख्या (2) परिमाण (3) पृथकत्व (4) संयोग (5) विभाग (6) शब्द 


ईश्वर के आठ गुण - (1) संख्या (2) परिमाण (3) पृथकत्व (4) संयोग (5) विभाग (6) बुद्धि (7) इच्छा (8) प्रयत्न 


मन के आठ गुण - (1) संख्या (2) परिमाण (3) पृथकत्व (4) संयोग (5) विभाग (6) परत्व (7) अपरत्व (8) वेग 


पाँच सूत्र - जिन पर ध्यान देने की जरुरत है - (1) शिक्षा (2) संस्कार (3) संगति (4) एकता (5) व्यक्तिगत पहचान 


संकलनकर्ता - केशव राम सिंघल 

साभार - विभिन्न स्रोत 



Friday, February 4, 2022

#086 - गीता अध्ययन एक प्रयास

गीता अध्ययन एक प्रयास

 

*ॐ*

 

*जय श्रीकृष्ण*

 

*गीता अध्याय 8 - अक्षरब्रह्मयोग*

 

8/18

 

अव्यक्ताद्व्यक्तयः सर्वा प्रभवन्त्यहरागमे।

रात्र्यागमे प्रलीयन्ते तत्रैवाव्यक्तसंज्ञके।।

 

*भावार्थ*

 

भगवान श्रीकृष्ण अर्जुन से कहते हैं -

 

ब्रह्मा के दिन के आरंभकाल (शुरू) में ब्रह्मा के सूक्ष्म शरीर (अव्यक्त) से सम्पूर्ण जीव (शरीर) पैदा होते हैं और ब्रह्मा की रात्रि के आरम्भकाल (शुरू) में ही सम्पूर्ण जीव (शरीर) लीन हो जाते हैं।

*प्रसंगवश*

जब सभी जीव ब्रह्मा के सूक्ष्म शरीर में लीन होते हैं, तब वे जन्म-मृत्यु के चक्र से छूट नहीं पाते हैं, बल्कि जन्म-मृत्यु के चक्र में फंसे रहते हैं।

 

सादर,

केशव राम सिंघल