Saturday, July 30, 2016

#008 - गीता अध्ययन एक प्रयास


*#008 - गीता अध्ययन एक प्रयास*
*प्रसंगवश टिप्पणी*
*सत् और असत्*


हमारा वर्तमान भौतिक अस्तित्व (रूप) अनस्तित्व के दायरे में है। हमें अनस्तित्व से घबराना नहीं चाहिए। वास्तव में हमारा अस्तित्व सनातन है, शाश्वत है। हम भौतिक शरीर में डाल दिए गए हैं। हमारा यह भौतिक शरीर (व अन्य भौतिक पदार्थ) असत् है। असत् जो शाश्वत नहीं है, जिसका अस्तित्व स्थाई नहीं है।

परिवर्तनशील शरीर का स्थायित्व नहीं है। शरीर और मन बदलता रहता है, पर आत्मा स्थाई रहता है। आत्मा शाश्वत है। आत्मा सत् है।

*उदाहरण*

सत् = आत्मा, जो सदा रहने वाला है।
असत् = भौतिक शरीर, जो सदा रहने वाला नहीं है।

अभिवादन,

केशव राम सिंघल

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