Saturday, July 30, 2016

#006 - गीता अध्ययन एक प्रयास


*#006 - गीता अध्ययन एक प्रयास*

*प्रसंगवश टिप्पणी*


वास्तव में ज्ञान (अर्थात् परमसत्य) को जानने वाला ज्ञान का अनुभव ज्ञान की तीन अवस्थाओं में करता है। हालांकि ये सभी अवस्थाएं एकरूप कही जा सकती हैं यथा ब्रह्म, परमात्मा और श्रीभगवान, पर इसके तीन पक्ष होते हैं - (1) ज्ञान का प्रकाश (जैसे सूर्य का प्रकाश अर्थात् धूप), (2) ज्ञान की सतह (जैसे सूर्य की सतह), और (3) ज्ञान अर्थात् परमसत्य (जैसे सूर्यलोक स्वयं)।

जो ज्ञान के प्रकाश को देख पा रहे हैं , वे जिज्ञासु हैं, साधक हैं। वे सीख रहे हैं।

जिसने ज्ञान (परमसत्य) के प्रकाश की सतह को समझ लिया है, वह ज्ञानी है। उसे हम 'ज्ञानी भक्त' कह सकते हैं।

और जिसने ज्ञान (परमसत्य) को भली प्रकार जान लिया है अर्थात् परमसत्य के सूर्यलोक में जिसने प्रवेश कर लिया है, वे उच्चतम ज्ञानी हैं।

शुभकामना और अभिवादन,

केशव राम सिंघल

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