Saturday, December 12, 2015

जलवायु परिवर्तन पर अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन


जलवायु परिवर्तन पर अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन -
अन्तिम जलवायु दस्तावेज का मसौदा काफी कमजोर, आशाओं के मुताबिक नहीं



जलवायु परिवर्तन पर संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन 30 नवंबर से 11 दिसंबर 2015 तक पेरिस (फ्रांस) में आयोजित हुआ. यह सम्मेलन इसलिए महत्वपूर्ण था क्योंकि इस सम्मेलन से इस नतीजे की उम्मीद थी कि ग्लोबल वार्मिंग के लिए तापमान को 2 डिग्री सेल्सियस कम रखने का एक जलवायु परिवर्तन पर नया अंतरराष्ट्रीय समझौता सामने आयेगा जो सभी देशों के लिए लागू होगा. इस सम्मेलन में जलवायु परिवर्तन और पर्यावरण से जुड़े महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा हुई. ग्रीन हाउस गैसों के बढ़ते उत्सर्जन को रोकने के लिए दीर्घकालीन सहमति की जरूरत थी. संयुक्त राष्ट्र के 195 देशों ने इस सम्मेलन में हिस्सा लिया और क़रीब 177 देशों से राष्ट्रपति या प्रधानमंत्री इस सम्मेलन में आए. जलवायु परिवर्तन और कार्बन उत्सर्जन के मामले पर विकसित देशों और विकासशील देशों के बीच हमेशा विचारों की भिन्नता और तकरार रही है, फिर भी दो सप्ताह के विचार-विमर्श के बाद शनिवार 12 दिसंबर 2015 को पर्यावरण बचाने का अन्तिम जलवायु दस्तावेज का मसौदा जारी कर दिया गाया, जिसमे दुनिया में तापमान मे बढ़ोतरी की दर दो डिग्री सेल्सियस से नीचे लाने का लक्ष्य तय किया गया. इस जलवायु दस्तावेज में संयुक्त राष्ट्र महासभा के संकल्प संख्या ए/आरईएस'70/1 "हमारी दुनिया को बदलना - सतत् विकास के लिए 2030 एजेंडा" (Transforming our world: the 2030 Agenda for Sustainable Development) स्वीकार किया गया. यह स्वीकार किया गया कि जलवायु परिवर्तन एक तत्काल और संभावित अपरिवर्तनीय विषय है, जो मानव समाज और इस गृह (पृथ्वी) के लिए खतरा है और इसलिए व्यापक संभव सहयोग की आवश्यकता है, जिसमे सभी देश एक प्रभावी और उपयुक्त अंतरराष्ट्रीय जवाबदेही से भागीदारी निबाहें, ताकि वैश्विक ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन में कमी को ते़ज किया जा सके. यह भी स्वीकार किया गया कि जलवायु परिवर्तन के समाधान में सम्मेलन के उद्देश्य को प्राप्त करने के लिए वैश्विक उत्सर्जन में कटौती की गहरी आवश्यकता है. यह माना गया कि जलवायु परिवर्तन मानव जाति के लिए एक आम चिंता का विषय है. दीघ्रकालीन लक्ष्य की दिशा में प्रगति के संबंध में सभी देशों के सामूहिक प्रयासों का जायजा लेने के लिए 2018 में एक सुविधाजनक वार्ता (dialogue) बुलाने का फैसला किया गया है. पूर्व-औद्योगिक स्तर और संबंधित वैश्विक ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन में 1.5 डिग्री सेल्सियस से अधिक के ग्लोबल वार्मिंग के प्रभावों पर 2018 में जलवायु परिवर्तन पर अंतर-सरकारी पैनल एक विशेष रिपोर्ट प्रदान करेगा.


हालाँकि जलवायु परिवर्तन पर संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन का अन्तिम जलवायु दस्तावेज का मसौदा सामने आ गया है और फ्रांस ने सभी देशों से जलवायु परिवर्तन पर पहला वैश्विक समझौता स्वीकार करने का आव्हान किया है. इसका अर्थ यह हुआ कि अभी भी सभी देशों ने इस जलवायु दस्तावेज पर अपने हस्ताक्षर नहीं किए हैं. जलवायु परिवर्तन पर संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन के अन्तिम जलवायु दस्तावेज के मसौदे को देखने से यह प्रतीत होता है कि प्रतिबद्धताओं और महत्वाकांक्षाओं पर यह काफी कमजोर दस्तावेज है क्योंकि इसमें विकसित देशों के लिए कोई सामूहिक और व्यक्तिगत् लक्ष्य नहीं दिए गए हैं तथा वैश्विक कार्बन बजट का कोई जिक्र भी नहीं है. भारत को मौजूदा रूप में समझौते को स्वीकार नही करना चाहिए और समझौते में वैश्विक कार्बन बजट इंगित होना चाहिए. जलवायु परिवर्तन पर संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन का अन्तिम जलवायु दस्तावेज का मसौदा काफी कमजोर है और आशाओं के मुताबिक नहीं है, इसमें सुधार की आवश्यकता है.


जलवायु दस्तावेज के मसौदा का पाठ आप http://unfccc.int/documentation/documents/advanced_search/items/6911.php?priref=600008829 लिंक पर देख् सकते हैं.


- केशव राम सिंघल
12-12-2015

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