Wednesday, June 1, 2016

*तकनीक का उपयोग लेखक की जरूरत*


*तकनीक का उपयोग लेखक की जरूरत*

लेखक का सरोकार व्यक्ति, समाज और उसके व्यवहार से होता है. वह उस हर बात से चिंतित हो उठता है, जो सामाजिक परिवेश में उसके विचार, चिंतन, अनुभूति और मानवीय व्यवहार को प्रभावित करती है. लेखक की यह इच्छा रहती है कि वह जो अपने लेखन के माध्यम से अभिव्यक्त करता है, उसे अधिक संख्या में लोग पढ़ें. उसके लेखन पर चर्चा हो और समाज प्रगति की ओर बढ़े.

समाज से लेखक का निश्चित सरोकार होता है, पर सामान्यत: वह सत्ता की शक्ति में हिस्सेदार नहीं होता है और इसी कारण वह् सामाजिक परिवर्तन में नीति निर्णायक की भूमिका नहीं निभा पाता. वह चाहता है कि जनता में वह पढ़ा जाए, जनता उस पर बहस करे ताकि समाज अपनी दिशा निर्धारित कर सके.

लेखक जनमानस को सीधे प्रभावित या आंदोलित नहीं कर पाता है क्योंकि वह अपने सीमित पाठकों, आलोचकों और बुद्धिजीवियों तक ही पहुँच पाता है. जनमानस को सीधे प्रभावित या आंदोलित करने के लिए उसे आम आदमी तक पहुँचने के प्रयास करने होंगे. आज तकनीक में अभूतपूर्व क्रांति के कारण हमारे समाज का सांस्कृतिक आधार अधिक विस्तृत हो रहा है, जिससे विभिन्न तरह के विचारों की अभिव्यक्ति के लिए माध्यम मिल रहा है और इस परिवर्तन के दौर में सामान्यजन भी अभिव्यक्ति में शामिल हो रहा है और विचार बहुत तेजी से एक-दूसरे के पास पहुँच रहा है. लेखक के लिए अब जरुरी हो गया है कि वह बदलते दौर में तकनीक का उपयोग कर अपने पाठकों की संख्या में वृद्धि करे और यही लेखक की जरूरत है.

शुभकामना के साथ,

केशव राम सिंघल

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