महाभारत के प्रमुख पात्र अर्जुन – एकाग्रता, वीरता और आत्मसंघर्ष का प्रतीक
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प्रतीकात्मक चित्र साभार OpenAI द्वारा निर्मित
महाभारत के वीरों में अर्जुन का नाम सबसे ऊपर आता,
श्रेष्ठ धनुर्धर, संवेदनशील योद्धा, जो सदा सत्य अपनाता।
अर्जुन – धर्मनिष्ठ और आत्मसंयमी योद्धा,
हर परिस्थिति में धर्म, विवेक और संयम से डटे रहे,
सच्चा वीर वही – जो बाहरी संग्राम के साथ भीतर मन का युद्ध भी लड़े।
वंश, शिक्षा और गुरुकुल जीवन
पांडवों में थे तीसरे भाई, जिनकी शिक्षा थी विलक्षण,
महाराज पांडु और रानी कुंती के इस पुत्र में था गुणों का सम्मिलन।
बचपन से ही नीति, धर्म और युद्धकला में थे अग्रणी,
गुरु द्रोणाचार्य ने उन्हें माना शिष्यों में श्रेष्ठतम ज्ञानी।
एकाग्रता की मिसाल
चिड़िया की आँख का प्रसंग उनकी एकाग्रता का प्रमाण बना,
जो लक्ष्य पर केंद्रित रहे, वही सच्चे परिणाम को है पाता।
पराक्रम और कीर्तिगाथा
स्वयंवर में कठिन लक्ष्य भेदा, द्रौपदी से विवाह रचाया,
खांडव वन दहन, इंद्र से दिव्यास्त्र, दिग्विजय से यश कमाया।
भगवान शिव से मिला पाशुपतास्त्र, जो था अद्भुत वरदान,
अर्जुन के शौर्य की गाथा गूंजे हर युग में हर इंसान।
श्रीकृष्ण से मित्रता और गीता का उपदेश
श्रीकृष्ण से थी प्रगाढ़ मित्रता – अनुपम और अपार,
उन्हीं से मिला गीता का दर्शन ज्ञान – अमूल्य विचार।
सारथी, सखा, मार्गदर्शक – हर मोड़ पर रहे श्रीकृष्ण सच्चे,
धर्म और कर्म का मार्ग दिखाया, जब अर्जुन रहे द्वन्द में उलझे।
महाभारत युद्ध पूर्व जब देखे बंधु-बांधव रणभूमि में खड़े,
शस्त्र त्याग कर बैठ गए वे – मोह, करुणा और धर्मसंकट से घिरे।
तब श्रीकृष्ण ने गीता का उपदेश सुनाया –
"कर्म करो, फल की चिंता मत करो।"
"धर्म के लिए संघर्ष ही तुम्हारा सच्चा कर्तव्य है – यह न भूलो।"
अर्जुन से प्रेरणाएँ
* एकाग्रता से लक्ष्य पर अडिग रहो।
* श्रेष्ठ बनो, पर अहंकार से सदा दूर रहो।
* आत्ममंथन करो, निर्णय विवेक से लो।
* गुरु के प्रति श्रद्धा और निष्ठा रखो।
* अनुशासन और अभ्यास को जीवन का अंग बनाओ।
* संघर्षों में भी धैर्य और संतुलन न खोओ।
अर्जुन से जीवन की शिक्षाएँ
* कठिन परिश्रम और निरंतर अभ्यास से ही सफलता मिलती है।
* भ्रम की स्थिति में ज्ञान, विवेक और विश्वास से मार्ग चुनें।
* सच्चे मित्र और मार्गदर्शक की बातों को ध्यान से सुनें।
* आत्मविश्वास और मन की स्थिरता ही सबसे बड़ा शस्त्र है।
सादर,
केशव राम सिंघल