*ॐ*
*जय श्रीकृष्ण*
*गीता अध्याय 8 - अक्षरब्रह्मयोग*
अर्जुन के मन में कुछ जिज्ञासाएं उत्पन्न होती है अतः वे श्रीभगवान कृष्ण से कुछ प्रश्न पूछते हैं, जिनका श्रीभगवान कृष्ण समाधान करते हैं, जो गीता अध्याय 8 में वर्णित है.
*अर्जुन उवाच -*
8/1
*किं तद्ब्रह्म किमध्यात्मं किं कर्म पुरषोत्तम !*
*अधिभूतं च किं कथं प्रोक्तमधिदैवं किमुच्यते !!*
8/2
*अधियज्ञः कथं कोअत्र देहस्मिन्मधुसूदन !*
*प्रयाणकाले च कथं ज्ञेयोअसि नियतात्मभिः !!*
*भावार्थ*
अर्जुन श्रीकृष्ण भगवान से प्रश्न करते हैं -
हे पुरषोत्तम (श्री कृष्ण) ! वह ब्रह्म क्या है? अध्यात्म क्या है? कर्म क्या है? अधिभूत कइसेकहते हैं? अधिदैव कौन है? (8/1) यहां अधियज्ञ (यज्ञ का स्वामी) कौन है? और वह इस देह (शरीर) में कैसे है? हे मधुसूदन (कृष्ण) ! मृत्यु के समय नियत आत्मसंयमी (परमात्मा की भक्ति में लगा व्यम्ति) आपको कैसे जान पाता है? (8/2)
इस प्रकार इन दो श्लोकों के माध्यम से अर्जुन भगवान श्री कृष्ण से सात प्रश्न करते हैं.
सादर,
केशव राम सिंघल
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